दिवाली (दीपावली)

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प्रकाश का पर्व दीपावली के नाम से जाना जाता है (दीप ➔ दीपक, वलि ➔ पंक्ति). दक्षिण भारत में इसे दीपावली कहा जाता है और मलेशिया व सिंगापुर जैसे एशियाई देशों में भी यही नाम प्रचलित है। उत्तर भारत में इसे आमतौर पर दीवाली कहा जाता है, परंतु दोनों एक ही उत्सव हैं।

यह उत्सव अच्छाई पर बुराई, पवित्रता पर अपवित्रता और प्रकाश पर अंधकार की विजय का प्रतीक है। यह सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है।

दीवाली की परंपराएँ

दीवाली भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास के बाद लौटने की स्मृति में मनाई जाती है।

यह उत्सव कार्तिक मास की अमावस्या की रात को मनाया जाता है।

भारत की गलियाँ और मंदिर दीपों और रंग-बिरंगी सजावट से जगमगाते हैं।

लोग घरों में "दिये" जलाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पूर्वज इस दिन घर आते हैं और दीप उन्हें मार्ग दिखाते हैं। पटाखे जलाकर बुरी आत्माओं को दूर किया जाता है।

परिवार, मित्र और व्यापारी उपहार व मिठाइयाँ बाँटते हैं, पुराने विवाद समाप्त करते हैं और ईर्ष्या व क्रोध से मुक्ति पाते हैं।

यह आनंद और नवीनीकरण का पर्व है।

दीवाली का महत्व केवल हिंदू धर्म तक सीमित नहीं है। सिख इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं, जब उनके छठे गुरु हरगोबिंद को कैद से मुक्ति मिली थी। जैन इसे भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं।

दीवाली के पाँच दिन

दीवाली पाँच दिन तक चलने वाला उत्सव है। अलग-अलग क्षेत्रों में नाम और परंपराएँ भिन्न हो सकती हैं, लेकिन पाँच दिन इस प्रकार माने जाते हैं:

धनतेरस

यह पहला दिन है। लोग घरों की सफाई करते हैं और शाम को धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस दिन महंगे सामान खरीदना और दान करना शुभ माना जाता है। दिये जलाकर बुरी आत्माओं को दूर भगाया जाता है।

नरक चतुर्दशी

दूसरे दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। लोग स्नान कर नए वस्त्र धारण करते हैं और इसे दक्षिण भारत में मुख्य दिन के रूप में मनाया जाता है।

दीवाली

तीसरे दिन कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है। यह सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। भगवान राम ने रावण को पराजित कर माता सीता को वापस लाने का यह दिन है। दीप जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है।

गोवर्धन पूजा/अन्नकूट

चौथा दिन नए साल का पहला दिन होता है। इसे अन्नकूट भी कहते हैं, जिसका अर्थ है "भोजन का पर्वत"। परंपरा है कि श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों की रक्षा की थी। लोग भोजन बनाकर मंदिरों में अर्पित करते हैं।

भाई दूज

पाँचवाँ दिन भाई और बहन के रिश्ते को समर्पित होता है।